#स्टैंड फॉर समथिंग या यू विल फॉल फॉर एनीथिंग
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रोज़ा पार्क्स और बस वाली घटना -
आज के दिन रोज़ा पार्क्स का जन्म हुआ था |इसलिए सोचा की आपको उनके बारे में बताया जाये |क्योकि उस दौर में खुद के अधिकारों के लिए लड़ना बहुत बड़ी बात है |महिला होकर उस दौर में इतना जीवट दिखाना बहुत बड़ी बात है |नागरिक अधिकारों की लड़ाई की जननी कही जाने वाली रोज़ा पार्क्स के बारे एक वाकया है जो बहुत चर्चित है जिससे ही उनकी की पहली शुरुआत थी |1955 में एक दिन जब वह काम से घर जाने के लिए बस में सवार हुईं तो गोरों के लिए आरक्षित शुरुआती 10 सीटें छोड़कर पीछे एक सीट पर जाकर बैठ गईं| इस बीच बाकी सीटें भी भर गईं थीं और एक श्वेत आदमी के बस में चढने पर ड्राइवर ने रोजा से सीट छोड़ने को कहा रोजा ने साफ इंकार कर दिया|
यहीं से नागरिक अधिकारों की लड़ाई में रोजा ने कदम रख दिया| हालांकि रोजा पार्क्स को बस में हुई इस घटना के लिए दोषी करार दिया गया और उनसे 10 डॉलर का जुर्माना भी वसूला गया ऊपर से उन्हें 4 डॉलर की कोर्ट की फीस अलग से देनी पड़ी|
रोजा पार्क्स नागरिक अधिकारों आंदोलन का बढ़ता प्रभाव-
लेकिन रोजा ने हिम्मत नहीं हारी और नस्ली भेदभाव से जुड़े इस कानून को चुनौती ��ी लगभग एक साल तक उनके साथ दूसरे अश्वेत लोगों ने भी नगर निगम की बसों का वहिष्कार कर दिया|संघर्ष रंग लाई और1956 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एफ्रो-अमेरिकी अश्वेत नागरिक नगर निगम के किसी भी बस में कहीं भी बैठ सकते हैं|रोजा पार्क्स ने नागरिक अधिकारों का जो आंदोलन छेड़ा था,उसका असर1964 में सामने आया जब कांग्रेस ने सिविल राइट ऐक्ट पास किया|
पार्क्स को प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम -
पार्क्स को 1996 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम से सम्मानित किया गया |1997 में उन्हें अमेरिकी संसद का सबसे बड़ा सम्मान कांग्रेश्नल गोल्ड मेडल दिया गया था |बस वाली घटना के बाद कहा जाता है कि पार्क्स की नौकरी चली गई और उन्हें अपने पति के साथ शहर छोड़ कर डेट्रॉयट जाना पड़ा| उसके बाद नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले जॉन कॉन्यर ने उन्हें 1965 में अपने दफ्तर में नौकरी दे दी|रिटायरमेंट तक पार्क्स वहीं काम करती रहीं|आखिरी दिनों में पार्क्स को पैसों की तंगी भी झेलनी पड़ी,साथ ही उनकी याद्दाश्त भी काफी बिगड़ गई थी|24 अक्तूबर 2005 को उनका देहांत हो गया|उनकी अंतिम विदाई में शामिल 50,000 लोगों में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश भी थे|देखिये कुछ भी पाने के लिए संघर्ष तो करना पड़ता है |इसलिए कहा भी गया की -"स्टैंड फॉर समथिंग या यू विल फॉल फॉर एनीथिंग"|मैं इसी बात से ये आर्टिकल खत्म करना चाहूंगा |हम चाहते है की आपको भी पता चले की जो भी अधिकार हमे मिले हुए है या कहे दुनिया में भी कही भी मिले हुए है उसके पीछा पूरा का पूरा एक संघर्ष है |
#स्टैंड फॉर समथिंग या यू विल फॉल फॉर एनीथिंग#24अक्तूबर2005#AfricanAmericancivilrightsactivist#civilrightsmovement#civilrightsmovementintheUnitedStates#February4#motherofthecivilrightsmovement#RosaLouiseMcCauley#अधिकारोंआंदोलनकाबढ़ताप्रभाव#अमेरिकीसुप्रीमकोर्ट#जॉनकॉन्यर#जॉर्जडब्लूबुश#नगरनिगमकीबसोंकावहिष्कार#नागरिकअधिकारोंकीलड़ाई#प्रेसिडेंशियलमेडलआफफ्रीडम#मदरऑफ़सिविलराइट्स#रोज़ापार्क्स#रोज़ापार्क्सऔरबसवालीघटना#श्वेतआदमीकेबसमेंचढने#सिविलराइटऐक्ट
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रोज़ा पार्क्स और बस वाली घटना -
आज के दिन रोज़ा पार्क्स का जन्म हुआ था |इसलिए सोचा की आपको उनके बारे में बताया जाये |क्योकि उस दौर में खुद के अधिकारों के लिए लड़ना बहुत बड़ी बात है |महिला होकर उस दौर में इतना जीवट दिखाना बहुत बड़ी बात है |नागरिक अधिकारों की लड़ाई की जननी कही जाने वाली रोज़ा पार्क्स के बारे एक वाकया है जो बहुत चर्चित है जिससे ही उनकी की पहली शुरुआत थी |1955 में एक दिन जब वह काम से घर जाने के लिए बस में सवार हुईं तो गोरों के लिए आरक्षित शुरुआती 10 सीटें छोड़कर पीछे एक सीट पर जाकर बैठ गईं| इस बीच बाकी सीटें भी भर गईं थीं और एक श्वेत आदमी के बस में चढने पर ड्राइवर ने रोजा से सीट छोड़ने को कहा रोजा ने साफ इंकार कर दिया|
यहीं से नागरिक अधिकारों की लड़ाई में रोजा ने कदम रख दिया| हालांकि रोजा पार्क्स को बस में हुई इस घटना के लिए दोषी करार दिया गया और उनसे 10 डॉलर का जुर्माना भी वसूला गया ऊपर से उन्हें 4 डॉलर की कोर्ट की फीस अलग से देनी पड़ी|
रोजा पार्क्स नागरिक अधिकारों आंदोलन का बढ़ता प्रभाव-
लेकिन रोजा ने हिम्मत नहीं हारी और नस्ली भेदभाव से जुड़े इस कानून को चुनौती दी लगभग एक साल तक उनके साथ दूसरे अश्वेत लोगों ने भी नगर निगम की बसों का वहिष्कार कर दिया|संघर्ष रंग लाई और1956 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एफ्रो-अमेरिकी अश्वेत नागरिक नगर निगम के किसी भी बस में कहीं भी बैठ सकते हैं|रोजा पार्क्स ने नागरिक अधिकारों का जो आंदोलन छेड़ा था,उसका असर1964 में सामने आया जब कांग्रेस ने सिविल राइट ऐक्ट पास किया|
पार्क्स को प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम -
पार्क्स को 1996 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम से सम्मानित किया गया |1997 में उन्हें अमेरिकी संसद का सबसे बड़ा सम्मान कांग्रेश्नल गोल्ड मेडल दिया गया था |बस वाली घटना के बाद कहा जाता है कि पार्क्स की नौकरी चली गई और उन्हें अपने पति के साथ शहर छोड़ कर डेट्रॉयट जाना पड़ा| उसके बाद नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले जॉन कॉन्यर ने उन्हें 1965 में अपने दफ्तर में नौकरी दे दी|रिटायरमेंट तक पार्क्स वहीं काम करती रहीं|आखिरी दिनों में पार्क्स को पैसों की तंगी भी झेलनी पड़ी,साथ ही उनकी याद्दाश्त भी काफी बिगड़ गई थी|24 अक्तूबर 2005 को उनका देहांत हो गया|उनकी अंतिम विदाई में शामिल 50,000 लोगों में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश भी थे|देखिये कुछ भी पाने के लिए संघर्ष तो करना पड़ता है |इसलिए कहा भी गया की -"स्टैंड फॉर समथिंग या यू विल फॉल फॉर एनीथिंग"|मैं इसी बात से ये आर्टिकल खत्म करना चाहूंगा |हम चाहते है की आपको भी पता चले की जो भी अधिकार हमे मिले हुए है या कहे दुनिया में भी कही भी मिले हुए है उसके पीछा पूरा का पूरा एक संघर्ष है |
#सिविलराइटऐक्ट#श्वेतआदमीकेबसमेंचढने#रोज़ापार्क्सऔरबसवालीघटना#रोज़ापार्क्स#मदरऑफ़सिविलराइट्स#प्रेसिडेंशियलमेडलआफफ्रीडम#नागरिकअधिकारोंकीलड़ाई#नगरनिगमकीबसोंकावहिष्कार#जॉर्जडब्लूबुश#जॉनकॉन्यर#अमेरिकीसुप्रीमकोर्ट#अधिकारोंआंदोलनकाबढ़ताप्रभाव#RosaLouiseMcCauley#motherofthecivilrightsmovement#February4#civilrightsmovementintheUnitedStates#civilrightsmovement#AfricanAmericancivilrightsactivist#24अक्तूबर2005
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रोज़ा पार्क्स-मदर ऑफ़ सिविल राइट्स -
रोज़ा पार्क्स और बस वाली घटना -
आज के दिन रोज़ा पार्क्स का जन्म हुआ था |इसलिए सोचा की आपको उनके बारे में बताया जाये |क्योकि उस दौर में खुद के अधिकारों के लिए लड़ना बहुत बड़ी बात है |महिला होकर उस दौर में इतना जीवट दिखाना बहुत बड़ी बात है |नागरिक अधिकारों की लड़ाई की जननी कही जाने वाली रोज़ा पार्क्स के बारे एक वाकया है जो बहुत चर्चित है जिससे ही उनकी की पहली शुरुआत थी |1955 में एक दिन जब वह काम से घर जाने के लिए बस में सवार हुईं तो गोरों के लिए आरक्षित शुरुआती 10 सीटें छोड़कर पीछे एक सीट पर जाकर बैठ गईं| इस बीच बाकी सीटें भी भर गईं थीं और एक श्वेत आदमी के बस में चढने पर ड्राइवर ने रोजा से सीट छोड़ने को कहा रोजा ने साफ इंकार कर दिया|
यहीं से नागरिक अधिकारों की लड़ाई में रोजा ने कदम रख दिया| हालांकि रोजा पार्क्स को बस में हुई इस घटना के लिए दोषी करार दिया गया और उनसे 10 डॉलर का जुर्माना भी वसूला गया ऊपर से उन्हें 4 डॉलर की कोर्ट की फीस अलग से देनी पड़ी|
रोजा पार्क्स नागरिक अधिकारों आंदोलन का बढ़ता प्रभाव-
लेकिन रोजा ने हिम्मत नहीं हारी और नस्ली भेदभाव से जुड़े इस कानून को चुनौती दी लगभग एक साल तक उनके साथ दूसरे अश्वेत लोगों ने भी नगर निगम की बसों का वहिष्कार कर दिया|संघर्ष रंग लाई और1956 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एफ्रो-अमेरिकी अश्वेत नागरिक नगर निगम के किसी भी बस में कहीं भी बैठ सकते हैं|र���जा पार्क्स ने नागरिक अधिकारों का जो आंदोलन छेड़ा था,उसका असर1964 में सामने आया जब कांग्रेस ने सिविल राइट ऐक्ट पास किया|
पार्क्स को प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम -
पार्क्स को 1996 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के कार्यकाल में प्रेसिडेंशियल मेडल आफ फ्रीडम से सम्मानित किया गया |1997 में उन्हें अमेरिकी संसद का सबसे बड़ा सम्मान कांग्रेश्नल गोल्ड मेडल दिया गया था |बस वाली घटना के बाद कहा जाता है कि पार्क्स की नौकरी चली गई और उन्हें अपने पति के साथ शहर छोड़ कर डेट्रॉयट जाना पड़ा| उसके बाद नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाले जॉन कॉन्यर ने उन्हें 1965 में अपने दफ्तर में नौकरी दे दी|रिटायरमेंट तक पार्क्स वहीं काम करती रहीं|आखिरी दिनों में पार्क्स को पैसों की तंगी भी झेलनी पड़ी,साथ ही उनकी याद्दाश्त भी काफी बिगड़ गई थी|24 अक्तूबर 2005 को उनका देहांत हो गया|उनकी अंतिम विदाई में शामिल 50,000 लोगों में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश भी थे|देखिये कुछ भी पाने के लिए संघर्ष तो करना पड़ता है |इसलिए कहा भी गया की -"स्टैंड फॉर समथिंग या यू विल फॉल फॉर एनीथिंग"|मैं इसी बात से ये आर्टिकल खत्म करना चाहूंगा |हम चाहते है की आपको भी पता चले की जो भी अधिकार हमे मिले हुए है या कहे दुनिया में भी कही भी मिले हुए है उसके पीछा पूरा का पूरा एक संघर्ष है |
पूरा जानने के लिए -http://bit.ly/3tqGsYB
#civilrightsmovementintheUnitedStates#February4#motherofthecivilrightsmovement#RosaLouiseMcCauley#अधिकारोंआंदोलनकाबढ़ताप्रभाव#अमेरिकीसुप्रीमकोर्ट#जॉनकॉन्यर#जॉर्जडब्लूबुश#नगरनिगमकीबसोंकावहिष्कार#नागरिकअधिकारोंकीलड़ाई#प्रेसिडेंशियलमेडलआफफ्रीडम#मदरऑफ़सिविलराइट्स#रोज़ापार्क्स#रोज़ापार्क्सऔरबसवालीघटना#श्वेतआदमीकेबसमेंचढने#सिविलराइटऐक्ट#स्टैंडफॉरसमथिंगयायूविलफॉलफॉरएनीथिंग#AfricanAmericancivilrightsactivist#24अक्तूबर2005
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